सनातन धर्म में हर माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथी को अमावस्या कहते है।जिस भी महीने में अमावस्या शनिवार के दिन पड़ती है उसे शनि अमावस्या कहते है। वैशाख माह हिंदू धर्म का सबसे पवि़त्र माह माना जाता है। इस बार की अमावस्या का महत्तव और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह अमावस्या वैशाख माह की अमावस्या है जो की शनिवार के दिन पड़ रही है और यह अपने आप में एक अद्भुत संयोग है। इस बार शनि अमावस्या 30 अप्रैल को मनाई जायेगी।

मान्यता है कि शनि अमावस्या के दिन न्याय के देवता शनिदेव की पूजा करके उनको प्रसन्न किया जा सकता है और इस दिन शनिदेव से जुड़े उपायों को करने से अनेक प्रकार के शनि दोषों से भी मुक्ति मिल सकती है। शनि अमावस्या के दिन शनि देव कि उपासना करने के लिए इस दिन जगह जगह बढ़े बढ़े आयोजन भी किये जाते है। आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बतायेंगे जिनको करने से कहते है की शनि दोष, शनि की साढेसाती जैसे दुषप्रभावों से राहत पायी जा सकती है।
यदि आप शनि के प्रकोप से मुक्ति चाहते है तो शनि अमावस्या के दिन स्नान कर पीपल के पेड़ की पूजा करें। पीपल के पेड़ की पूजा के लिए एक थाली में काले तिल, लोहे की कील, मिट्टी का दिया और सरसों का तेल आदि रख लें। अब सबसे पहले पीपल के पेड़ के चारों ओर कलावा बांधे और उसके बाद पूजा की अन्य सामग्री जैसे की तिल, सरसों आदि अर्पित करें और उसके बाद सरसों के तेल का दीपक जलायें। कहते है की शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए पीपल के पेड़ की पूजा करना सबसे उत्तम है।
शनिदेव न्याय के देवता है, वह व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते है इसलिए सभी उनसे डरते है। लेकिन जिन्हें शनिदेव की कृपा प्राप्त हो जाती है फिर कोई उनका कुछ बुरा नही कर पाता है। यदि आप भी चाहते की आपको भी शनिदेव की कृपा प्राप्त हो और आपको कोई मुसीबत छु भी ना पायें तो उसके लिए शनिदेव को प्रसन्न करें। उन्हें प्रसन्न करनें का सबसे आसान रास्ता है की उनकी उपासना और आराधना करें।
इस शनि अमावस्या के दिन शनि मंदिर जाकर शनिदेव को काले तिल और सरसों का तेल अर्पित करें और उसके बाद शनि चालिसा का पाठ करें। साथ ही इस दिन गुड़ से बनी चीज़ोॆ का दान करें कहते है ऐसा करने से शनि की साढेसाती के प्रकोप से राहत मिलती है। इस दिन भैरव बाबा, हनुमानजी और माता काली के मंत्रों का जाप, पूजन अर्चन करने से भी लाभ होता है।
शिव कृपा के लिए अवश्य करे यह उपाय।
अमावस्या की शाम को कोई भी शिव मंदिर में जाके शिवजी का ध्यान करे, शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करे और मंदिर में 51 दिए जलाए इसे दीप दान कहा जाता है। यह बहुत ही लाभकारी माना जाता है।

